Wednesday 18 October 2017

ज़िन्दगी

बड़ी अजीब दास्ताँ है ज़िन्दगी।।
कभी सुहानी भोर तो कभी ढलती सांझ है ज़िन्दगी।।
कभी फलती फूलती पौध तो कभी कटा हुआ दरख़्त है ज़िन्दगी।।
बड़ी अजीब दास्ताँ है ज़िन्दगी।।
कभी झुग्गी झोंपड़ी में बेहिसाब ख़ुशी तो कभी महलों की चार दीवारी में वीरान मंजर है ज़िन्दगी।।
कभी ख्वाबों के परिंदों की नयी उड़ान तो कभी सपनों के घुटते दम की मौत है ज़िन्दगी।।
बड़ी अजीब दास्ताँ है ज़िन्दगी।।
कभी अनगिनत अनसुलझे सवाल तो कभी हर सवाल का शांत सा जवाब है ज़िन्दगी।।
कभी हर लम्हा बहुत खूबसूरत तो कभी पहाड़ जैसा बोझ है ज़िन्दगी।।
बड़ी अजीब दास्ताँ है ज़िन्दगी।।
कभी प्रकृति का सुन्दर वरदान तो कभी कुदरत का कुत्सित अभिशाप है ज़िन्दगी।।
कभी अपनों के बीच अपनों का प्यार तो कभी अकेले अपनों से दूर हसीन ख्वाब है ज़िन्दगी।।
फिर भी बहुत खूबसूरत सफर है ज़िन्दगी।।
ना फिकर करना कल की आज में पूरी दुनिया छिपाए है ज़िन्दगी।।
अपने ख्वाबों को अपने ढंग से जीने का अंदाज़ है ज़िन्दगी।।

ये बनावटी मुस्कान...!

चेहरे पर ये जो, बनावटी मुस्कान ला रहे हो। मेरे दर्द पर मुस्कराने का, हुनर अभी जिंदा है या, अपना कोई दर्द छिपा रहे हो।। बिखरा तो मैं भी था, म...