Sunday 14 May 2023

मां...

सुना मैने कुछ यूं कि,

लोगों ने मां के लिए मदर्स डे मनाया।

बस अपनी मां को छोड़कर,

सारी दुनिया में मां के लिए अपना प्यार जताया।


जिस मां ने दुनिया से रूबरू कराया

उसके लिए एक पूरे दिन व्हाट्सएप स्टेटस लगाया।

कहीं कहीं केक भी कटवाया,

कुछ ने तो मां के लिए तोहफा भी मंगवाया।


फोटो लेता रहा वो मां के पैर छूकर तो कभी गले लगकर,

और वो ममता की मूरत रोती रही खुश हो होकर।

फिर मां को छोड़कर वो मदर्स डे मनाने चला गया,

मां का बनाया हुआ उसका मनपसंद हलवा रखा रह गया।


गैरों के सामने झूठी शान के लिए इतना कुछ किया,

मां के पास बैठकर उसकी खैर खबर इक बार भी न लिया।

पूरी उम्र गुजार दी जिसने बच्चों की खुशी के लिए,

उन बच्चों ने महज एक दिन मनाया उस मां के लिए।


इतना प्यार मां के लिए एक दिन में क्यूं उमड़ के आया,

उस बेचारी भोली भाली मां को तो ये समझ भी न आया।

वो सोचती रही, ऐसा मदर्स डे तो हर रोज आए,

दिखावे के लिए ही सही, पर औलाद पास तो आए।


उसको नहीं ख्वाहिश किसी तोहफे, किसी उपहार की,

वो तो एक जिंदा मूरत है निस्वार्थ प्यार की।

खुद कांटों पर चलके भी हाथों में रखती है,

बच्चों को छांव में रखने के लिए खुद धूप में तपती है।


भाई बहन ने पूछा कि हमारे लिए क्या लाते हो,

पिताजी ने पूछा कितनी तनख्वाह पाते हो।

पर मां तो मां होती है न,

एक उसी ने पूछा, खाना तो वक्त पर खाते हो।


बच्चों की खुशी के लिए मंदिर मस्जिद तक जाती है,

अपनी ममता के आगे अपना स्त्रीत्व भी भूल जाती है।

हमेशा औलाद की खुशी से न जाने कैसे खुश हो जाती है,

खुद के शौक, गम, खुशी सारे जज्बात पीछे छोड़ आती है।


जब तक बच्चे घर न आ जाएं, उनकी राह तकती है,

सच में मां जैसा प्यार बस मां ही कर सकती है।

घर में मां का होना ही, जन्नत होती है,

खुशनसीब होते हैं वो लोग जिनके पास मां होती है।


माना कि सबके पास वक्त की कमी है,

फिर भी गर आंखों में थोड़ी भी नमी है।

वक्त रहते अपनी गलती सुधार लेना,

बस यूं ही बिना किसी वजह के मां के पास बैठकर कुछ पल गुजार लेना।

Thursday 4 May 2023

हां ... हम बैंकर्स

अपने परिवार के लिए, परिवार से ही दूर रहते हैं।।

हां ...हम बैंकर्स एक साथ दोहरी जिंदगी जीते हैं।


पहला परिवार जिसने हमको बेफिक्र रहना सिखाया।

और दूसरे ने, पहले के लिए, अपनी जिम्मेदारियों का ध्यान दिलाया।।


पहले परिवार में मां बाप की सेवा का दिल में अरमान है।

दूसरे परिवार में उत्तम ग्राहक सेवा ही हमारी पहचान है।।


भाई, बहन, बच्चों की परवाह जैसे अपने परिवार में होती है।

कुछ वैसी ही चिंता बैंक में अपने नए साथियों के लिए भी होती है।।


जैसे अपने परिवार में जीवनसाथी का बर्थडे/ एनिवर्सरी याद रहता है।

वैसे ही यहां बैंक के ऑडिट कंप्लायंस / रफिया का ड्यू डेट भी याद रहता है।।


अपना मकान, गाड़ी, बच्चों की अच्छी पढ़ाई जैसे जीवन के कुछ टारगेट उस परिवार में होते हैं।

डिपॉजिट, एडवांस, एनपीए जैसे कुछ आंकड़ों के टारगेट इस परिवार में भी हर साल होते हैं।।


उस परिवार में जैसे घर समाज की कुछ जिम्मेदारियां हमारी होती हैं।

वैसे ही यहां सामाजिक सुरक्षा योजनाएं प्रायोरिटी लिस्ट में, हमारी होती हैं।


एक परिवार को अनहोनी से बचाने के लिए खुद का बीमा करवाते हैं।

दूसरे परिवार में वैसे ही रिस्क कवर अपने ग्राहकों को दिलवाते हैं।।


जब कभी दिवाली अपने परिवार के साथ नहीं मना पाते हैं।

तो "अबकी बार दिवाली यहीं की" कहकर अपने मन को समझाते हैं।।


साल भर मेहनत ईमानदारी से काम करने के बाद जब पीएलआई का तोहफा पाते हैं।

यकीन मानिए, हम बैंकर्स इतने में ही बहुत खुश हो जाते हैं।।


इस तोहफे से किसी की कार का डाउन पेमेंट तो किसी के घर में फर्नीचर का इंतजाम हो जाता है।

बस ऐसे ही एक बैंकर अपनी छोटी छोटी ख्वाइशों को मुकाम तक पहुंचाता है।।


पहले परिवार ने हमें खुली आंखों से सपने देखना सिखाया।

तो दूसरे ने अपनी काबिलियत से उन सपनों को सच करना सिखाया।।


कहने को भले ही कितनी बुराइयां है इस परिवार में।

पर मेरे घर की दाल रोटी चलती है इसी परिवार से।।


हमेशा एक परिवार से दूर, पर दूसरे के साथ रहते हैं।

हां ...हम बैंकर्स एक साथ दोहरी जिंदगी जीते है

ये बनावटी मुस्कान...!

चेहरे पर ये जो, बनावटी मुस्कान ला रहे हो। मेरे दर्द पर मुस्कराने का, हुनर अभी जिंदा है या, अपना कोई दर्द छिपा रहे हो।। बिखरा तो मैं भी था, म...