Wednesday 20 May 2020

जीवन में विवेक

सुप्रभात।।
मन के कुछ उदगार आपके सामने लिखने का प्रयास कर रहा हूं।


जीवन में कभी ना कभी ऐसी स्थिति हमारे सामने अवश्य आती है जहां से स्पष्ट तौर पर लेकिन शंकायुक्त दो या दो से ज्यादा विकल्प हमें दिखाई पड़ते है। यह दो से ज्यादा विकल्प वाली स्थिति हमेशा एक परीक्षा की तरह होती है । 
हो सकता है, आपके लिए खुशी का मौका हो या कोई पीड़ादायक परन्तु जब भी ऐसी स्थिति आए तब एक नैसर्गिक, मूलभूत गुण जो कि हर मनुष्य में होता है केवल वहीं काम आता है और वह है विवेक। और इस परीक्षा में आप इसी गुण से आगे निकल सकते है।
ऐसी स्थिति में उस विकल्प को चुनने के बाद आपको लाभ हो सकता है या हानि भी परन्तु विवेक से लिया गया निर्णय गलत बिल्कुल नहीं होगा। जो लोग जीवन में मूल्यों एवम् सिद्धांतो को महत्व देते है वे लोग इसीलिए दे पाते है क्युकी निर्णय विवेक से करते है।
विवेक कोई बहुत बड़ा सिद्धांत या बहुत ही छोटी बात नहीं है एक बारीक सी रेखा है सही और ग़लत के बीच में। जब आप कोई निर्णय लेते है और आपके मस्तिष्क के तंतु आपको सचेत करते है नहीं ये गलत है समझिए आपका विवेक जागृत है। ईश्वर ने हम सबको कुछ गुण समान रूप से दिए है विवेक भी उनमें से एक है। परन्तु कई बार आवेश में, क्रोध में, या अपनी इच्छाओं के दास बनकर हम उस विवेक को भूलकर वह विकल्प चुनते है जोकि सच में गलत है।
यदि आप अपने विवेक से कोई निर्णय लेते है तो हो सकता आपका लाभ ना हो परन्तु किसी और का लाभ अवश्य होगा और शायद आप सही कर पाएंगे और आत्मसंतुष्ट हो पाएंगे। गलतियां करना मानव स्वभाव है और हां सीखने का पहला पड़ाव भी, परन्तु जान बूझकर गलतियां करना सिवाय अपने आपको, अपने विवेक को नष्ट करने के कुछ भी नहीं। और हां जो आपको सही लगता है जिसके लिए आपके मस्तिष्क के तंतु आपको रोकते नहीं है, चाहे कितने भी व्यक्ति उसके विरूद्ध हो, वहीं करना भी विवेक है।

Tuesday 19 May 2020

जिंदगी का सफर - 2

कब से जतन किए, लेकिन  बन तो नहीं पाया था।
उम्मीदों के पंखों से, अब तक उड़ तो नहीं पाया था।।

बात सिर्फ इंसान बनने की थी तो ठीक थी, पर काबिल तो नहीं बन पाया था।
इन बहते झरनों की तरह, निश्छल तो नहीं बन पाया था।।

भाग रहा था जिंदगी की इस दौड़ में, लेकिन अब तक जीत तो नहीं पाया था।
जीतने की चाह क्यूं थी, ये अभी तक जान तो नहीं पाया था।।

दौड़ा, गिरा, उठा फिर दौड़ा लेकिन मंजिल को अब तक देख तो नहीं पाया था।
रंगमंच की कठपुतली है हम सब यहां, ये सच अब तक जान तो नहीं पाया था।।

पर अब एक धुंधला सा उजियारा दिखा है, दूर क्षितिज में।
जिंदगी के सफ़र में जाना किस डगर है, अब ये देख पाया हूं।।
जीत जाऊंगा ये दौड़ जिंदगी की, मन में ये ठान पाया हूं।
आशाओं की नई फूटती कोंपलों से बनता जिंदगी का वटवृक्ष देख पाया हूं ।।

Monday 18 May 2020

जिंदगी का सफ़र

अंधेरा जिंदगी में भले ही हो, लेकिन उसके बाद सवेरा होना चाहिए।
रोकने वाले हजारों हो भले, लेकिन साथ में चलने वाला कोई तो होना चाहिए।।
किस्मत में कांटे हो कोई ग़म नहीं, पर फूलों की खुशबू भी  होनी चाहिए।
कोई और ना जुड़ पाए मुमकिन है, पर जो साथ है वो तो साथ रहना चाहिए ।।
जिंदगी सिर्फ उम्र काटने का नाम नहीं, जिंदादिली से शौक तो पूरे करने चाहिए।
ना बन सको कोई बड़ा नाम, पर एक अपना नाम भी तो होना चाहिए।।
भले ही हर चीज हार जाओ जिंदगी में, पर किसी का तो दिल जीतना चाहिए।
सुख ना हो या दुख ज्यादा मिले, इंसान को हर हाल में इंसान तो रहना चाहिए।।

ये बनावटी मुस्कान...!

चेहरे पर ये जो, बनावटी मुस्कान ला रहे हो। मेरे दर्द पर मुस्कराने का, हुनर अभी जिंदा है या, अपना कोई दर्द छिपा रहे हो।। बिखरा तो मैं भी था, म...