सुप्रभात।।
मन के कुछ उदगार आपके सामने लिखने का प्रयास कर रहा हूं।
जीवन में कभी ना कभी ऐसी स्थिति हमारे सामने अवश्य आती है जहां से स्पष्ट तौर पर लेकिन शंकायुक्त दो या दो से ज्यादा विकल्प हमें दिखाई पड़ते है। यह दो से ज्यादा विकल्प वाली स्थिति हमेशा एक परीक्षा की तरह होती है ।
हो सकता है, आपके लिए खुशी का मौका हो या कोई पीड़ादायक परन्तु जब भी ऐसी स्थिति आए तब एक नैसर्गिक, मूलभूत गुण जो कि हर मनुष्य में होता है केवल वहीं काम आता है और वह है विवेक। और इस परीक्षा में आप इसी गुण से आगे निकल सकते है।
ऐसी स्थिति में उस विकल्प को चुनने के बाद आपको लाभ हो सकता है या हानि भी परन्तु विवेक से लिया गया निर्णय गलत बिल्कुल नहीं होगा। जो लोग जीवन में मूल्यों एवम् सिद्धांतो को महत्व देते है वे लोग इसीलिए दे पाते है क्युकी निर्णय विवेक से करते है।
विवेक कोई बहुत बड़ा सिद्धांत या बहुत ही छोटी बात नहीं है एक बारीक सी रेखा है सही और ग़लत के बीच में। जब आप कोई निर्णय लेते है और आपके मस्तिष्क के तंतु आपको सचेत करते है नहीं ये गलत है समझिए आपका विवेक जागृत है। ईश्वर ने हम सबको कुछ गुण समान रूप से दिए है विवेक भी उनमें से एक है। परन्तु कई बार आवेश में, क्रोध में, या अपनी इच्छाओं के दास बनकर हम उस विवेक को भूलकर वह विकल्प चुनते है जोकि सच में गलत है।
यदि आप अपने विवेक से कोई निर्णय लेते है तो हो सकता आपका लाभ ना हो परन्तु किसी और का लाभ अवश्य होगा और शायद आप सही कर पाएंगे और आत्मसंतुष्ट हो पाएंगे। गलतियां करना मानव स्वभाव है और हां सीखने का पहला पड़ाव भी, परन्तु जान बूझकर गलतियां करना सिवाय अपने आपको, अपने विवेक को नष्ट करने के कुछ भी नहीं। और हां जो आपको सही लगता है जिसके लिए आपके मस्तिष्क के तंतु आपको रोकते नहीं है, चाहे कितने भी व्यक्ति उसके विरूद्ध हो, वहीं करना भी विवेक है।