Tuesday 27 June 2023

मेरा गांव

हां

मैं एक गांव से आता हूं।


वहां आज भी,

पिता के नाम से जाना जाता हूं।

और यहां शहर में,

फ्लैट नंबर से ही पहचाना जाता हूं।

 

कुएं पर नहाने से शावर में नहाने तक का सफर,

कब तय हुआ, पता नहीं चला।

मगर कामयाबी की इस दौड़ में,

गांव कब पीछे छूट गया, पता नहीं चला।

 

वहां मिट्टी के कच्चे घरों में भी,

पक्के रिश्ते मिल जाते हैं।

और यहां ऊंची इमारतों में भी,

खोखले जमीर पाए जाते हैं।

 

पर सुकून ये है कि,

आज भी परिवार साथ है।

मेरे सर पर,

माता पिता, बुजुर्गों का हाथ है।

 

अब गांव साल में,

कभी कभी ही जा पाता हूं।

अपने गांव को देखकर,

आज भी बच्चा हो जाता हूं।

हां

मैं एक गांव से आता हूं।

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