सुना मैने कुछ यूं कि,
लोगों ने मां के लिए मदर्स डे मनाया।
बस अपनी मां को छोड़कर,
सारी दुनिया में मां के लिए अपना प्यार जताया।
जिस मां ने दुनिया से रूबरू कराया
उसके लिए एक पूरे दिन व्हाट्सएप स्टेटस लगाया।
कहीं कहीं केक भी कटवाया,
कुछ ने तो मां के लिए तोहफा भी मंगवाया।
फोटो लेता रहा वो मां के पैर छूकर तो कभी गले लगकर,
और वो ममता की मूरत रोती रही खुश हो होकर।
फिर मां को छोड़कर वो मदर्स डे मनाने चला गया,
मां का बनाया हुआ उसका मनपसंद हलवा रखा रह गया।
गैरों के सामने झूठी शान के लिए इतना कुछ किया,
मां के पास बैठकर उसकी खैर खबर इक बार भी न लिया।
पूरी उम्र गुजार दी जिसने बच्चों की खुशी के लिए,
उन बच्चों ने महज एक दिन मनाया उस मां के लिए।
इतना प्यार मां के लिए एक दिन में क्यूं उमड़ के आया,
उस बेचारी भोली भाली मां को तो ये समझ भी न आया।
वो सोचती रही, ऐसा मदर्स डे तो हर रोज आए,
दिखावे के लिए ही सही, पर औलाद पास तो आए।
उसको नहीं ख्वाहिश किसी तोहफे, किसी उपहार की,
वो तो एक जिंदा मूरत है निस्वार्थ प्यार की।
खुद कांटों पर चलके भी हाथों में रखती है,
बच्चों को छांव में रखने के लिए खुद धूप में तपती है।
भाई बहन ने पूछा कि हमारे लिए क्या लाते हो,
पिताजी ने पूछा कितनी तनख्वाह पाते हो।
पर मां तो मां होती है न,
एक उसी ने पूछा, खाना तो वक्त पर खाते हो।
बच्चों की खुशी के लिए मंदिर मस्जिद तक जाती है,
अपनी ममता के आगे अपना स्त्रीत्व भी भूल जाती है।
हमेशा औलाद की खुशी से न जाने कैसे खुश हो जाती है,
खुद के शौक, गम, खुशी सारे जज्बात पीछे छोड़ आती है।
जब तक बच्चे घर न आ जाएं, उनकी राह तकती है,
सच में मां जैसा प्यार बस मां ही कर सकती है।
घर में मां का होना ही, जन्नत होती है,
खुशनसीब होते हैं वो लोग जिनके पास मां होती है।
माना कि सबके पास वक्त की कमी है,
फिर भी गर आंखों में थोड़ी भी नमी है।
वक्त रहते अपनी गलती सुधार लेना,
बस यूं ही बिना किसी वजह के मां के पास बैठकर कुछ पल गुजार लेना।